समय ही सत्य, समय ही शाश्वत,
समय है खंडित और समय अखंड.
समय ही द्रष्टा और समय ही स्रष्टा,
इसी में सृजन और इसी में विसर्जन.
समय है घंटा- मिनट- सेकण्ड.
समय तो शांत, नहीं उसे घमंड.
समय तो हंसता अपने ऊपर,
भूतकाल पर अपने करके गौर.
समय ही सोचता, है बलखाकर
इस भविष्यत का कितना ठौर?
जो वर्तमान है, है वही महान
समय को इस पर ही अभिमान.
जिस वर्तमान पर समय को नाज,
जो सब काज सवारे, वह है 'आज'.
वर्तमान तो सचमुच महान,
सुधारे भूत के बिगड़े सब काम.
बनाना हो यदि अपना भविष्य,
सवार लो फिर तुम वर्तमान.
लेकिन कितने मूर्ख हैं हम?
करते बर्बाद हैं, समय वर्तमान
समय-समय की बात है।
ReplyDeleteकविता में समय की बात है।
जिसने समय के महत्त्व को जान लिया वही सफल हो पाता है |अच्छी प्रस्तुति |
ReplyDeleteआशा
samay ki mahtaa samjha di aapne...:)
ReplyDeleteआज में जीने की प्रेरणा देता हुवा ...
ReplyDeleteसुन्दर रचना संसार है ...
वहा बहुत खूब बेहतरीन
ReplyDeleteआज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
तुम मुझ पर ऐतबार करो ।