Monday, February 27, 2012

वर्तमान ही महान


समय ही सत्य, समय ही शाश्वत,
समय है खंडित और समय अखंड.
समय ही द्रष्टा और समय ही  स्रष्टा,
इसी में सृजन और इसी में विसर्जन.

समय है घंटा- मिनट- सेकण्ड.
समय तो शांत, नहीं उसे घमंड.
समय तो हंसता अपने ऊपर,
भूतकाल पर अपने करके गौर.
समय ही सोचता, है बलखाकर 
इस भविष्यत का कितना ठौर?

जो वर्तमान है, है वही महान
समय को इस पर ही अभिमान.
जिस वर्तमान पर समय को नाज,
जो सब काज सवारे, वह है 'आज'.

वर्तमान तो सचमुच महान,
सुधारे भूत के बिगड़े सब काम.
बनाना हो यदि अपना भविष्य,
सवार लो फिर तुम वर्तमान.
लेकिन कितने मूर्ख हैं हम?
करते बर्बाद हैं, समय वर्तमान

Saturday, February 4, 2012

काश! हम इसका गुण अपनाते

काश! हम इसका गुण अपनाते

तन काला मन उजियाला है,
नित ज्ञान बढ़ाने वाला है.
ओढ़ा हमारे लिए काला पट,
पहचानो कौन? अरे! श्याम पट्ट

इस पर ही सीखा है हमने,
अक्षर ज्ञान और शब्द ज्ञान.
पाणिनि का हो चाहे व्याकरण.
न्यूटन आइन्स्टीन समीकरण.
शिक्षा की जितनी सीढ़ी चढ़ा,
हर बार स्वागत में खडा मिला.
यह कितना समर्पित संवेदी?
नीति-ज्ञान-गुण परम विवेकी.

काश! हम इसका गुण अपनाते
हम भी समाज को राह दिखाते.
कला वस्त्र विधि जगत में प्यारा,
न्याय जगत का राज दुलारा.

हमी असत्य का साथ निभाते,
न्याय - कार्य रोड़ा अटकाते.
काश सुलझा एक समाज बनाते,
घर के झगडे, घर में निपटाते.