काश! हम इसका गुण अपनाते
तन काला मन उजियाला है,
नित ज्ञान बढ़ाने वाला है.
ओढ़ा हमारे लिए काला पट,
पहचानो कौन? अरे! श्याम पट्ट
इस पर ही सीखा है हमने,
अक्षर ज्ञान और शब्द ज्ञान.
पाणिनि का हो चाहे व्याकरण.
न्यूटन आइन्स्टीन समीकरण.
शिक्षा की जितनी सीढ़ी चढ़ा,
हर बार स्वागत में खडा मिला.
यह कितना समर्पित संवेदी?
नीति-ज्ञान-गुण परम विवेकी.
काश! हम इसका गुण अपनाते
हम भी समाज को राह दिखाते.
कला वस्त्र विधि जगत में प्यारा,
न्याय जगत का राज दुलारा.
हमी असत्य का साथ निभाते,
न्याय - कार्य रोड़ा अटकाते.
काश सुलझा एक समाज बनाते,
घर के झगडे, घर में निपटाते.
सुंदर संदेश देती अच्छी कविता।
ReplyDeleteआइंस्टीन को देखकर अच्छा लगा।
सुंदर संदेश देती अच्छी कविता।
ReplyDeleteआइंस्टीन को देखकर अच्छा लगा।